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टिहरी गढ़वाल में 7वें कॉमन रिव्यू मिशन की बैठक, ग्रामीण विकास योजनाओं में बदलाव के सुझाव

टिहरी गढ़वाल में 7वें कॉमन रिव्यू मिशन की बैठक, ग्रामीण विकास योजनाओं में बदलाव के सुझाव
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टिहरी गढ़वाल । विकास भवन सभागार में आज भारत सरकार के 7वें कॉमन रिव्यू मिशन (सी.आर.एम.) की समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता सी.आर.एम. सदस्य श्री मानस जी ने की, जिसमें भारत सरकार द्वारा संचालित विभिन्न ग्रामीण विकास योजनाओं के क्रियान्वयन, चुनौतियों और प्रभाव पर विस्तार से चर्चा की गई। संबंधित विभागों द्वारा योजनाओं के क्रियान्वयन में आ रही समस्याओं को रखते हुए उनके समाधान के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए।

महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों की भौगोलिक परिस्थितियों में भिन्नता को देखते हुए योजना में कुछ बदलाव करने के सुझाव दिए गए। इसमें मजदूरी अंश समय से मिल जाने के बावजूद सामग्री अंश में देरी होने की समस्या को प्रमुख रूप से उठाया गया। स्थानीय व्यापारियों को समय पर भुगतान न मिलने के कारण सामग्री आपूर्ति में कठिनाई होती है, जिसे देखते हुए सामग्री अंश को भी मजदूरी अनुपात के अनुसार समय से आवंटित करने की मांग की गई। पर्वतीय क्षेत्रों में सामग्री की ढुलाई और लागत अधिक होती है, इसलिए सामग्री मूल्य निर्धारण के नियमों में संशोधन का प्रस्ताव भी रखा गया। साथ ही, कार्य स्थलों का चयन एक किलोमीटर के दायरे में ही करने और मजदूरों के आने-जाने के समय को भी कार्य अवधि में शामिल करने की सिफारिश की गई।

बैठक में यह भी सुझाव दिया गया कि वर्तमान में मैदानी और पर्वतीय क्षेत्रों के लिए आवास योजनाओं में स्वीकृत धनराशि समान है, जबकि पर्वतीय इलाकों में भूमि सुधार और सामग्री ढुलाई पर अधिक खर्च आता है। इसे ध्यान में रखते हुए पर्वतीय क्षेत्रों के लिए अलग मानक तय किए जाने की मांग उठाई गई।

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत बनने वाली सड़कों की गुणवत्ता और उचित रखरखाव सुनिश्चित करने के लिए यह प्रस्ताव रखा गया कि सड़क निर्माण कार्य स्थानीय ठेकेदारों को दिया जाए, जिससे न केवल स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा बल्कि सड़कों की देखरेख भी प्रभावी रूप से हो सकेगी।

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत कार्यरत कार्मिकों को इस प्रकार प्रशिक्षित किए जाने का सुझाव दिया गया कि वे गांव की महिलाओं को स्वरोजगार की ओर प्रेरित कर सकें। ग्रामीण लोग आमतौर पर किसी व्यवसाय में सीधे रूप से विश्वास नहीं कर पाते, लेकिन यदि उन्हें सहभागी तरीके से प्रशिक्षित किया जाए, तो वे आत्मनिर्भर बन सकते हैं। इसके अलावा, समूहों द्वारा अर्जित की जा रही आय की निगरानी रखने और इसे बढ़ाने के उपायों पर भी बल दिया गया।

इस समीक्षा बैठक में विभिन्न विभागों के अधिकारी, योजनाओं से जुड़े प्रतिनिधि और संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ उपस्थित रहे। बैठक में प्राप्त सुझावों को भारत सरकार को भेजे जाने का निर्णय लिया गया, ताकि ग्रामीण विकास योजनाओं को अधिक प्रभावी और क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूल बनाया जा सके।


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Govind Pundir

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