पुलिस शहीद स्मृति दिवस: मुख्यमंत्री ने शहीद हुए पुलिस जनों को श्रृद्धांजलि दी
पुलिस शहीद स्मृति दिवस: मुख्यमंत्री ने शहीद हुए पुलिस जनों को श्रृद्धांजलि दी
देहरादून * गढ़ निनाद
पुलिस शहीद स्मृति दिवस के अवसर पर पुलिस लाईन देहरादून स्थित शहीद स्मारक स्थल पर श्रृद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रुप में श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, माननीय मुख्यमत्री उत्तराखण्ड एवं श्री प्रेम चन्द्र अग्रवाल, माननीय विधानसभा अध्यक्ष समेत पुलिस एवं शासन के आला अधिकारी मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि 21 अक्टूबर पूरे भारत-वर्ष में पुलिस स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर सम्पूर्ण भारत में पुलिस, अद्धसैनिक पुलिस संगठनों के शहीद हुए पुलिस जनों को श्रृद्धांजलि दी जाती है। आज के ही दिन उन वीर शहीदों को शत्-शत् नमन करते हैं जिन्होंने कर्तव्य पालन में अपने प्राणों की आहूति दी ।
उन्होंने कहा कि देश की आन्तरिक सुरक्षा व्यवस्था एवं कानून-व्यवस्था बनाये रखने का उत्तरदायित्व राज्यों की पुलिस बल एवं अर्द्धसैनिक बलों का है। अपने इसी उत्तरदायित्व को पूर्ण निष्ठा से निभाते हुए पुलिस कर्मियों को अपने जीवन की आहूति भी देनी पड़ जाती है। विगत एक वर्ष में सम्पूर्ण भारत में कुल 292 अर्द्धसैनिक बलों एवं विभिन्न राज्यों के पुलिस कर्मी शहीद हुए। जिसमें उत्तराखण्ड पुलिस के 01 वीर सपूत ने भी अपने प्राणों की आहुति दी है।
ड्यूटी के दौरान प्राणों की आहुति देने वाले ये पुलिस कर्मी हम सब के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। सम्पूर्ण भारतवासी अपने शहीद पुलिस कर्मियों को हार्दिक श्रृद्धांजलि देते हुए आज नतमस्तक हैं। इस अवसर पर इन वीर शहीदों के परिजनों के प्रति भी हम अपनी हार्दिक संवेदनायें व्यक्त करते हैं।
उत्तराखण्ड राज्य की अन्तर्राष्ट्रीय सीमायें नेपाल, चीन एवं अन्तर्राज्यीय हिमाचल प्रदेश व उत्तर प्रदेश से मिलती है। यह प्रदेश भौगोलिक एवं सामरिक महत्व के दृष्टिगत राष्ट्र की सुरक्षा के लिए अत्यन्त संवेदनशील एवं महत्वपूर्ण है। उत्तराखण्ड पुलिस के समक्ष कई चुनौतियां हैं। जिनमें बड़े त्यौहार, चारधाम यात्रा, आपदा, भूस्खलन एवं वर्ष 2020-21 में होने वाले महाकुम्भ का आयोजन है। मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि उत्तराखण्ड पुलिस अपनी उपलब्ध जनशक्ति एवं संसाधनों से इन चुनौतियों का सामना करने में सफल होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस कर्मी वर्दीधारी संगठन होने के कारण अनुशासन में बंधे रहते है। कठोर एवं विपरित परिस्थितियों में चुनौती पूर्ण कार्यों का निवर्हन करते है। प्रदेश के विकास एवं शान्ति व्यवस्था/कानून व्यवस्था बनाये रखने में राज्य पुलिस बल की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रदेश शासन पुलिस कर्मियों को अपने दायित्वों का निवर्हन करने हेतु उनकी कल्याणकारी योजनाओं/ सुविधाओं पर विशेष ध्यान रखा जा रहा है।
पुलिस महानिदेशक ने कहा कि पुलिस कर्मी को अत्यन्त जोखिम एवं चुनौतीपूर्ण कार्यो को संयम में रहते हुए करना पड़ता है। जनहित में सामान्य नागरिकों की तुलना में वर्दीधारी कर्मियों के कुछ अधिकारों को प्रतिबन्धित भी किया गया है। अन्य विभागों की तुलना में पुलिस बल के कर्मियों को अपने कर्तव्यों के निर्वह्न के दौरान कभी-कभी अपने प्राणों की आहुति भी देनी पड़ती है।
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21 अक्टूबर 1959 को भारत की उत्तरी सीमा पर लद्दाख के 15 हजार फीट ऊॅंचे बर्फीले दुर्गम क्षेत्र में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस की एक गश्ती टुकड़ी के 10 बहादुर जवानों ने चीनी अतिक्रमणकारियों से लोहा लिया और अत्यन्त बहादुरी से लड़ते हुए अपनी मातृभूमि की रक्षा में अपने प्राणो की आहुति दी थी। इन्ही वीर सपूतों के बलिदान की स्मृति में प्रत्येक वर्ष आज के दिन ‘‘ पुलिस स्मृति दिवस‘‘ मनाया जाता है, जिसमें कर्तव्यपालन के दौरान दिवंगत हुये पुलिस कर्मियों को श्रद्धांजलि देकर याद किया जाता है। विगत एक वर्ष में सम्पूर्ण भारत में राज्य पुलिस एवं केन्द्रीय सुरक्षा बलों के कुल 292 कर्मियों ने कर्तव्य पालन के दौरान अपने जीवन की आहुति दी है। उन्होंने कहा कि देश में शहीद हुए अधिकांश पुलिस कर्मी नक्सली, आतंकवादी एवं उग्रवादी घटनाओं में शहीद हुए है। पुलिस का कार्य 24 घण्टे, 365 दिन का होता है। पुलिस थाना कभी बन्द नहीं होता है। प्रतिदिन नये किस्म के अपराध/शान्ति व्यवस्था, आपदा एवं आन्तरिक सुरक्षा की जटिलताएं पुलिस के लिए नयी-नयी चुनौती पेश कर रहे है।
स्मृति दिवस के अवसर पर माननीय मुख्यमंत्री द्वारा श्रीमती कमलेश्वरी भट्ट-पत्नी स्व. आरक्षी नागरिक पुलिस श्री परशुराम भट्ट, श्रीमती अन्जू डोबरियाल-पत्नी स्व. आरक्षी नागरिक पुलिस एवं श्री जगदीश प्रसाद को शॉल प्रदान कर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर माननीय मुख्यमंत्री ने कांस्टेबल से निरीक्षक तक के पुलिस कर्मियों के वर्दी धुलाई भत्ते को 150 रूपये से बढ़ाकर 200 रूपये करने, पुलिस विभाग में कार्यरत अंशकालिक स्वच्छकों का मानदेय 1500 से बढ़ाकर 2500 रूपये करने एवं विचाराधीन बंदियों के दो समय के भोजन के लिए धनराशि 45 रूपये से बढ़ाकर 100 रूपये करने की घोषणा की।