विश्व ब्रेल दिवस, आकाशवाणी की अनूठी पहल, जानिये विस्तार से
* गढ़ निनाद *
4 जनवरी विश्व ब्रेल दिवस के अवसर पर आकाशवाणी समाचार पुणे एवं नागपुर की क्षेत्रीय इकाइयों ने दृष्टि-बाधित छात्रों और अधिकारियों द्वारा समाचारों का प्रसारण कर अभिनव तरीके से मनाया। समाचार को ब्रेल में लिपिबद्ध कर और दृष्टि-बाधित छात्रों द्वारा लाइव पढ़ा गया।
गौरतलब है की 4 जनवरी को दुनिया भर में विश्व ब्रेल दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह दिवस लुई ब्रेल याद में विश्व ब्रेल दिवस मनाया जाता है. आज ही के दिन लुई ब्रेल ने ब्रेललिपि का आविष्कार किया था। फ्रांस के लुई ब्रेल द्वारा विकसित यह लिपि दृष्टिहीनों को पढ़ने-लिखने सहायक है. लुई ब्रेल खुद एक दृष्टिहीन थे। सामान्य दृष्टि वाले लोग रोमन लिपि या देवनागरी लिपि में पढ़ते हैं, लेकिन दृष्टीहीन लोगों के लिखने-पढ़ने के लिए लुई ब्रेल ने अलग लिपि विकसित की और उसे ब्रेल लिपि नाम दिया।
विश्व ब्रेल दिवस दृष्टिबाधित या आंशिक रूप से दृष्टिबाधित दिव्यांगजनों को मानवाधिकार प्रदान करने और संचार के माध्यम के रूप में ब्रेल लिपि के बारे में जागरूकता लाने के लिए मनाया जाता है। ब्रेल लिपि के छह बिन्दुओं के माध्यम से ही दृष्टिबाधित दिव्यांगजन पूरे संसार को टटोल लेते हैं। उनकी हाथों की उंगलियां इन छह बिन्दुओं के सहारे से संगीत, साहित्य, कला, गणित, विज्ञान की दुनियां को महसूस कर पाते हैं।
दिल्ली से सुबह 11 बजे कर पांच मिनट का हिंदी बुलेटिन दृष्टि बाधित अधिकारी श्री कमल प्रजापति ने पढ़ा।
मराठी में समाचारों का सुबह 7 बज कर 10 मिनट पर पुणे से लाइव प्रसारण हुआ और इसे दृष्टि बाधित छात्रों गुलाब काम्बले एवं कविता गवली द्वारा प्रस्तुत किया गया। ये छात्र पुणे ब्लाइंड मेन्स एसोसिएशन के थे। आकाशवाणी का पुणे केन्द्र 2016 से ब्रेल लिपि में समाचारों को प्रसारित कर रहा है। पुणे इकाई की इस अनूठे प्रयास के लिए सराहना की गई है।
आकाशवाणी की नागपुर इकाई में सुश्री सलोली कपगटे ने आज सुबह 11 बजकर 58 मिनट पर दो मिनट का एफएम समाचार पढ़ा। उन्होंने अपने प्रशिक्षक सुश्री कंचन नाजपांडे की मदद से ब्रेल लिपि में समाचार पढ़े।
इस अवसर पर आकाशवाणी समाचार की प्रधान महानिदेशक इरा जोशी ने कहा कि आकाशवाणी एक समावेशी माध्यम है और दृष्टि दिव्यांगजनों तक इसकी पहुंच सबसे आसान है। उन्होंने कहा कि ब्रेल दिवस जैसे अवसर हमें समावेशी और सुगम्य समाज बनाने के प्रति पुनः समर्पण का मौका देते हैं।
उन्होंने कहा कि दृष्टि बाधित लोगों को समाचार संकलन का हिस्सा बनाने से न केवल उनमें आत्मविश्वास पैदा होता है बल्कि श्रोताओं और समाचार कक्ष में अन्य लोगों को दिव्यांगजनों की ज़रूरतों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है।