देश-दुनियाविविध न्यूज़

कथा बनारस: ‘प्रलेक प्रकाशन समूह’ की एक महत्वपूर्ण योजना

Please click to share News

खबर को सुनें

* कथा बनारस * ‘प्रलेक प्रकाशन समूह’ की एक महत्वपूर्ण योजना। ‘कथा बनारस’ में बनारस की मिट्टी की खुशबू है। पाँच खंडों के इस महत्वपूर्ण कार्य का संपादन किया है, युवा आलोचक प्रभात मिश्र जी ने।

प्रभात जी युवा होने के साथ-साथ एक पारदर्शी व्यक्तित्व हैं, जिन्हें निष्पक्ष निर्णय लेना आता है।

आइए हम सब मिलकर इस सपने को पूरा करें।

कथा बनारस:

काशी’ से बूढ़ा कौन है…कौन हो सकता है? होंगे ‘पुराण’ पुराने पर इसका पुराना माना जाना भी ‘बहुत’ पुराना है। जरा ठहरो और सोचो, इस ‘काशी’ में ‘बनारस’ कहां है, ‘काशी-कथा’ में ‘कथा-बनारस’ कितना है?

जी, ‘कथा-बनारस’ है यह। कहानी में ‘बनारस’ है, यह बनारस की ‘कहानी’ है। कहना तो यह कि यह ‘कहानी’ ही की ‘कहानी’ है।
भला संभव हुआ है कि ‘कहानी’ बांहें खोले और इस ‘बनारस’ को आंक ले, समेट ले, उकेर ले, बिखेर दे। कोई भी ‘कहानी’ कैसे इस ‘नेति-नेति’ को ‘अथ और इति’ में शासित कर सके।

काशी की गरिमा के सम्मुख बनारस की आभा मलिन नहीं है। बनारस ‘लोक-वैराग्य’ है और काशी ‘परलोक-चिंता’। समय के साथ बनारस कुछ ‘चटक’ होकर सामने रहा और काशी ‘धूसर’। बनारस ‘ताल’ है और काशी ‘सुर’।

बनारस में कविता की तमीज भी है और कहानी का वैभव भी। बनारस में साहस है और धुन भी। बनारस तमाम सरलीकरण के सामने हठीला सत्याग्रह है। बनारस समय में भी है और समयातीत भी। बनारस सामाजिकता में एकांत है और एकांत में सामाजिकता। बनारस की नागरिकता में हिस्सेदारी-जिम्मेदारी भी है और अराजक मस्ती भी। बनारस में हड़बड़ी नहीं है, न जिरह की, न फैसले की। बनारस जितना मुखर है, उतना मौन भी। बनारस कहे और अनकहे के बीच ठिठका-सा है।

‘बनारस’ को जानना ‘काशी’ को कुछ अधिक जानना है। ‘बनारस’ मनुष्य का स्थायी ठिकाना है और ‘कथा-बनारस’ इस स्थायी ठिकाने का अस्थायी पता…।

कथा बनारस” में कुल 5 खंड हैं। (प्रेषक : गोलेन्द्र पटेल)


Please click to share News

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!