श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में कुल सचिव का पद हुआ रिक्त, कुलपति ने शासन को लिखा पत्र,पिछले कार्यकाल की होगी जांच
गढ़ निनाद समाचार* 15 दिसम्बर 2020
नई टिहरी। नियमो को ताक में रखने वाले कुल सचिव के पिछले 09 साल के कार्यो की जांच होगी। इस मामले में श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में कार्यरत रहे सुधीर बुडाकोटी के विरूद्ध जांच करवाने हेतु विश्वविद्यालय के कुलपति डा0 पीताम्बर प्रसाद ध्यानी ने प्रमुख सचिव को पत्र भेजा है। फिलवक्त श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुल सचिव का पद रिक्त हो गया है।
ज्ञातव्य है कि सुधीर बुडाकोटी द्वारा श्री देव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय में बिना कुलपति के अनुमोदन के उप कुलसचिव दिनेश चन्द्रा से पत्र जारी करवाकर दिनांक 02 दिसम्बर 2020 को कुल सचिव के पद पर कार्यभार ग्रहण किया गया। कार्यभार ग्रहण करने के बाद बिना कुलपति को बताये हुये मुख्यालय छोड गये। जिस पर कुलपति द्वारा सुधीर बुडाकोटी को 02 दिन के अन्दर अपना स्पस्टीकरण प्रस्तुत करते हुए उपस्थित होने के आदेश पारित किये गये। किन्तु बुडाकोटी द्वारा किसी भी प्रकार से अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत नही किया गया। बल्कि विश्वविद्यालय कुलपति के नियंत्रणाधीन न होकर प्रत्यक्ष रूप से शासन के प्रतिनिधि के रूप में स्वतंत्र इकाई के रूप में क्रियाशील हैं, जो कि विश्वविद्यालय अधिनियम और परिनियम की मूल भावनाओं के विपरीत और अवेहलना है। विश्वविद्यालय में कुल सचिव के पद पर कार्यरत रहे सुधीर बुडाकोटी 05 माह के लिये उच्च शिक्षा मंत्री के यहां भी सम्बद्ध रहे।
श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के उपकुलसचिव दिनेश चन्द्रा द्वारा दिनांक 02 दिसम्बर, 2020 को बिना कुलपति के अनुमोदन के सुधीर बुडाकोटी को कुलसचिव के पद पर कार्यभार ग्रहण करवाया गया। सूत्रों की बात मानी जाय तो कुलपति ने इस सम्बन्ध में भी जांच के आदेश पारित किये गये । कुलपति की सत्यनिष्ठा एंव ईमानदारी के बावजूद भी अधिकारी सुधरने का नाम नही ले रहे है। इस का कारण है कि कुलपति द्वारा शासन स्तर पर जांच करवाये जाने के लिये शासन को पत्र प्रेषित किया गया है।
बता दें कि सुधीर बुडाकोटी श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में वर्ष 2011 मे भी कार्यरत रहे हैं, 2011 में भी कई वित्तीय मामलों में कुल सचिव द्वारा सीधे अपने स्तर पर अहम वित्तीय निर्णय लिये गये जो कि नियमानुकुल सही नही हैं।
हाल ही में दिनेश चन्द्रा उपकुलसचिव द्वारा जारी आदेश के क्रम में कुल सचिव से विभागीय वाहन मुख्यालय में तत्काल वापस मंगवाया गया तथा विश्वविद्यालय से सम्बद्ध राजकीय महाविद्यालयों एवं स्ववित्त पोषित संस्थानों के निरीक्षण तथा विश्वविद्यालय से सम्बन्धित राजकीय कार्यो में भी प्रतिबन्धित किया गया है। बिना कुलपति के अनुमोदन पर कुलपति की अनुपस्थिति में नियुक्त कराये गये कुलसचिव प्रकरण पर शासन क्या जांच करवाता है यह देखना बाकी है।