“त्वचा और बालों की देखभाल के उत्पादों में व्यवसाय के लिए प्राकृतिक पौधों की सुगंध को समझना” विषय पर ऑनलाइन कार्यशाला
देहरादून। मसूरी सुगंध एवं सुरस संस्थान, मसूरी एवं रसायन विज्ञान जैवपूर्वेक्षण प्रभाग, वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई), देहरादून द्वारा संयुक्त रूप में इलेक्ट्रॉनिक सर्विस एंड ट्रेनिंग सेंटर, लघु, सूक्ष्म और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार, रामनगर, उत्तराखंड के सहयोग से दिनांक 01 जुलाई से 29 जुलाई 2021 तक ‘त्वचा और बालों की देखभाल के उत्पादों में व्यवसाय के लिए प्राकृतिक पौधों की सुगंध को समझना’ विषयक प्रशिक्षण सह इंटर्नशिप पाठ्यक्रम का ऑनलाइन आयोजन किया जा रहा हैं।
इस 15 दिवसीय प्रशिक्षण सह इंटर्नशिप पाठ्यक्रम में भारत के विभिन्न हिस्सों से प्रतिभागी सम्मिलित हो रहें हैं । कार्यक्रम का समग्र उद्देश्य प्रतिभागियों को उद्यमिता कौशल से लैस करना है ताकि वे सुगंध के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो सकें। इस कार्यक्रम में सैद्धांतिक व्याख्यान और व्यावहारिक प्रदर्शन दोनों शामिल हैं।
प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए, डॉ. ज्योति मारवाह, निदेशक, एमएफएफआई, मसूरी, उत्तराखंड ने एमएफएफआई की गतिविधियों का उल्लेख किया और प्रशिक्षण कार्यक्रम का विवरण दिया। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में 14 यूनिट शामिल हैं जिसमे सुगन्ध उद्यमिता से जुडे महत्वपूर्ण विषय यथा सुगंध का इतिहास और विकास, वन सुगंध और सुगंध से वैलनेस (कल्याण), औषधीय और सुगंधित पौधों को समझना, आवश्यक तेल और उनकी रासायनिकी, आवश्यक तेलों के निष्कर्षण के तरीके और उनका प्रदर्शन, प्राकृतिक सौंदर्य प्रसाधनों के साथ व्यावसायिक क्षमता, त्वचा और बालों की देखभाल के लिए अरोमाथेरेपी उत्पादों को डिजाइन करना और उनका प्रदर्शन, अरोमाथेरेपी, फील्ड टू मशीन, और अरोमास एंड ह्यूमन एनाटॉमी से संबंधित पहलुओं को शामिल किया जाएगा।
प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए डॉ. वाई.सी. त्रिपाठी, प्रमुख, रसायन विज्ञान और बायोप्रोस्पेक्टिंग (सी एंड बीपी) विभाग, एफआरआई ने विभाग की गतिविधियों और सशक्तिकरण के लिए हितधारकों को कुशल बनाने में प्रभाग भूमिका के बारे में बताया।
डॉ. त्रिपाठी ने हिमालयीय क्षेत्र की विशाल एवं अतुल्य वन सम्पदा के मद्देनजर सगंध पौधों एवं इनके सुगन्धित उत्पादों के क्षेत्र में असीम संभावनाओं एवं अवसरों को रेखांकित किया। इस अवसर पर सुश्री कहकशां नसीम. डीएफओ, मसूरी ने प्रो. ज्योति मारवाह और कहकशां नसीम द्वारा लिखित “मिस्टिक हिमालय की सुगंध और स्वाद: मानव कल्याण के लिए हीलिंग अरोमा” पर एक पुस्तक की घोषणा की और इसका कवर डॉ. त्रिपाठी और सुश्री नसीम द्वारा जारी किया गया।
कार्यक्रम का समापन डॉ. वी.के. वार्ष्णेय द्वारा दिए गए धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। कार्यक्रम का संचालन श्री गौरव पांडे, शोध छात्र, सी एंड बीपी डिवीजन, एफआरआई द्वारा किया गया ।
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 29 जुलाई, 2021 तक जारी रहेगा। जिसके अंतर्गत सुगंध के क्षेत्र में कार्यरत वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों, सुगंध चिकित्सकों एवं सुगंध उद्योग के जुड़े विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान और व्यावहारिक प्रदर्शनों के माध्यम से प्रतिभागियों के वैज्ञानिक ज्ञान, कौशल और उद्यमिता की प्रगति के लिए सुगंधित पदार्थों के मौलिक और व्यावहारिक पहलुओं के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की जाएगी ।