उत्तराखंडविविध न्यूज़

स्वच्छता एक दिव्य विभूति है— स्वामी रसिक महाराज

Please click to share News

खबर को सुनें

पौड़ी गढ़वाल । डांडा नागराजा मंदिर सभा द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के समापन दिवस पर आयोजित प्रवचन में नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज ने कहा कि “स्वच्छता एक दिव्य विभूति है, जो न केवल भौतिक जीवन में बल्कि आध्यात्मिक उन्नति में भी अत्यंत आवश्यक है।”

उन्होंने कहा कि भगवान को निर्मलता विशेष प्रिय है और जो व्यक्ति अंतर्मन से शुद्ध होता है, भगवान उससे सामान्य नहीं, बल्कि विशेष प्रेम करते हैं। स्वामीजी ने कहा कि भगवत्प्रेम की प्राप्ति के लिए निर्मल मन आवश्यक है, क्योंकि वहीं से ईश्वर की सच्ची अनुभूति होती है।

अपने संबोधन में उन्होंने स्पष्ट किया कि मलिनता केवल बाहर नहीं, भीतर से भी उपजती रहती है। काम, क्रोध, मोह, मद और मत्सर जैसे मानसिक विषाणु, जीवन में विकृति और गंदगी उत्पन्न करते हैं। स्वच्छता केवल घर-द्वार और शरीर तक सीमित नहीं, बल्कि यह मन, विचार और व्यवहार की भी आवश्यकता है। “मन को यदि धो लिया जाए, तो सारा संसार निर्मल और सुंदर प्रतीत होने लगता है,” उन्होंने कहा।

स्वामी रसिक महाराज ने कहा कि स्वच्छता जहाँ भी होती है, वहाँ उत्साह, सौंदर्य और सुसंस्कार का संचार होता है। यह न केवल जीवन को व्यवस्थित बनाती है, बल्कि स्वर्ग, मुक्ति और ईश्वर की प्राप्ति जैसे परम लक्ष्यों का आधार भी बन सकती है।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया और स्वामीजी के विचारों से प्रेरणा प्राप्त की। समापन अवसर पर मंदिर समिति के पदाधिकारियों सहित क्षेत्र के अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।


Please click to share News

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!