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मालाबार नीम व उन्नत किस्मों के व्यावसायिक प्रवर्धन हेतु एफआरआई का 3 फर्मों से समझौता

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देहरादून 9 दिसम्बर। वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून ने 9 दिसंबर 2024 को मालाबार नीम और नीम की उन्नत किस्मों को व्यावसायिक रूप से प्रवर्धित करने के लिए तीन फर्मों के साथ एक गैर-अनन्य लाइसेंस समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते पर संस्थान की निदेशक डॉ. रेणु सिंह और प्रवर्धन फर्मों के प्रतिनिधियों, श्री संजय टंडन (मेसर्स इको हार्वेस्ट कार्बन एलायंस, कानपुर), श्री मनीष कुमार (मेसर्स बृंदा एग्रो, शामली), और श्री सतेंद्र कुमार (मेसर्स बीज टेक ग्रोवरी, मेरठ) ने हस्ताक्षर किए।

एफआरआई ने कृषि वानिकी के माध्यम से किसानों को अधिक लाभ प्रदान करने के उद्देश्य से पेड़ों की उच्च उत्पादकता वाली किस्में विकसित की हैं। 2017 में संस्थान ने मालाबार नीम की दस किस्में जारी की थीं, जिनकी औसत उत्पादकता 37.54 क्यूबिक मीटर प्रति हेक्टेयर प्रतिवर्ष है, जो असुधारित किस्मों की तुलना में तीन गुना अधिक है। यह पहल किसानों को उनके खेतों में गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री उपलब्ध कराने में मदद कर रही है।

2021 में नीम की छह किस्में जारी की गईं, जो 2-3 वर्षों में ही फूल और फल देने की क्षमता रखती हैं। इन किस्मों में औसत तेल की मात्रा 38.44% और अजाडिरेक्टिन का स्तर 8522.89 पीपीएम है, जो सामान्य वृक्षों की तुलना में कहीं अधिक है। इन किस्मों से नीम के तेल की मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को कम करने में मदद मिलेगी। भारत सरकार के 100% नीम लेपित यूरिया उत्पादन के निर्णय के बाद नीम तेल की मांग में काफी वृद्धि हुई है, जिसके लिए नई किस्में विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं।

संस्थान ने इन किस्मों को ऊतक संवर्धन तकनीक का उपयोग कर गुणा करने का संशोधित तरीका भी विकसित किया है। इस अवसर पर एफआरआई के समूह समन्वयक अनुसंधान डॉ. एन.के. उप्रेती ने वाणिज्यिक फर्मों को सभी तकनीकी और प्रशासनिक सहायता का आश्वासन दिया।

कार्यक्रम में एफआरआई के वैज्ञानिकों, डॉ. अशोक कुमार, डॉ. रमा कांत, डॉ. अजय ठाकुर, डॉ. वाई.सी. त्रिपाठी (सेवानिवृत्त), और डॉ. सुरेन्द्र सिंह बिष्ट ने अपनी दशकों की मेहनत से इन उन्नत किस्मों को विकसित करने के प्रयासों को साझा किया। डॉ. अजय ठाकुर ने कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी लोगों का धन्यवाद व्यक्त किया।


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