बुके नहीं, बुक दीजिए”— सीएम धामी का शिक्षा और संस्कृति को नया संदेश

स्थानीय भाषाओं और किताबों के संरक्षण पर सरकार की बड़ी पहल
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि चाहे आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस कितना भी आगे बढ़ जाए, किताबों का कोई विकल्प नहीं हो सकता। उन्होंने राज्यवासियों से अपील की कि किसी भी कार्यक्रम में फूलों के बुके की जगह पुस्तकें भेंट करने की परंपरा को अपनाएं, ताकि पढ़ने की संस्कृति को नया आयाम मिल सके।
सीएम धामी ने मुख्यमंत्री आवास में वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत की पुस्तक “उत्तराखंड राज्य का नवीन राजनीतिक इतिहास” का विमोचन किया। पाँच भागों में विभाजित यह पुस्तक राज्य के गठन से लेकर अब तक की 25 वर्ष की राजनीतिक यात्रा को प्रमाणिक दस्तावेज़ों, दुर्लभ अभिलेखों और प्रेस कतरनों के माध्यम से प्रस्तुत करती है।
स्थानीय भाषाओं को डिजिटल युग में मजबूत बनाने पर ज़ोरगढ़वाली, कुमाऊँनी, जौनसारी सहित सभी क्षेत्रीय भाषाओं का डिजिटलीकरण सरकार की प्राथमिकता।मातृभाषाओं में लेखन, गीत-संग्रह और शोध कार्यों को बढ़ावा देने के लिए नई पहलें शुरू।स्कूल–घर–समुदाय में स्थानीय बोलियों के उपयोग को बढ़ाने की अपील।
संस्कृति और विरासत से नई पीढ़ी को जोड़ने पर बलभाषाएँ, लोक-संस्कृति और परंपराएँ हमारी पहचान और विरासत की नींव हैं।
नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने के लिए परिवार और समाज दोनों की भूमिका आवश्यक।सरकार डिजिटल माध्यमों में मातृभाषाओं की सामग्री उपलब्ध कराने की दिशा में बड़े कदम उठा रही है।कार्यक्रम में मौजूद रहे कई गणमान्यकार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री एवं महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, विधायकगण, पत्रकार, साहित्यकार और समाजसेवी उपस्थित रहे।



