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राहत इंदौरी के निधन पर ग्राफिक एरा में शोक

राहत इंदौरी के निधन पर ग्राफिक एरा में शोक
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रोज तारों की नुमाइश में खलल पड़ता है….

गढ़ निनाद न्यूज़* 12 अगस्त 2020

देहरादून: मशहूर शायर डॉ. राहत इंदौरी के निधन पर ग्राफिक एरा एजुकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. कमल घनशाला ने गहन शोक व्यक्त हुए कहा कि उन्हें ग्राफिक एरा बहुत भाता था। वर्ष 2018 में उन्हें ग्राफिक एरा काव्य गौरव सम्मान से भी नवाजा गया था। कोरोना काल में डॉ. राहत इंदौरी ने ग्राफिक एरा के ई-कवि सम्मेलन में शामिल होकर लाखों लोगों को भावमुग्ध कर दिया था। 

कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण इस बार 15 अप्रैल को ई कवि सम्मेलन के रूप में आयोजित ग्राफिक एरा की इस सालाना महफिल में मशहूर शायर डॉ. राहत इंदौरी ने “रोज तारों की नुमाइश में खलल पड़ता है, चांद पागल है अंधेरे में निकल पड़ता है…” सुनाकर दुनिया भर में फैले श्रोताओं पर अपने शब्दों और अंदाज का जादू चलाया। उन्होंने ई कवि सम्मेलन में कई शेर सुनाए थे। 

इससे पहले वर्ष 2018 में एक लाख रुपये के ग्राफिक एरा काव्य गौरव सम्मान की घोषणा से पहले डॉ. राहत इंदौरी ने जमकर तालियां बटोरी। जोरदार करतल ध्वनि के बीच फरमाइशें होती रही और राहत साहब बार-बार माईक संभालते रहे। उन्होंने किसी को निराश नहीं किया और हर फरमाइश पर कुछ अलग सुनाया। डॉ. राहत ने देश के मिजाज को अलग अंदाज में पेश किया- 

हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं, मौहब्बत की इसी मिट्टी को हिंदुस्तान कहते हैं, फिर उसके बाद चाहे ये ज़ुबान कटती है… कट जाए, हमने जो कुछ भी कहना है, एलाल ऐलान कहते हैं…

डॉ. राहत ने शब्दों के कई रंग बिखेरे- जो दुनियां में सुनाई दे उसे कहते हैं खामोशी, जो आंखों में दिखाई दे, उसे तूफान कहते हैं… जो ये दीवार का सुराख है, साजिश का हिस्सा है, मगर हम इसको अपने घर का रोशनदान कहते हैं…।

उनके निधन की खबर से ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी में शोक की लहर दौड़ गई। ग्राफिक एरा ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. कमल घनशाला ने राहत साहब को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उन्हें देहरादून और ग्राफिक एरा से बहुत लगाव था। हर बार अनुरोध करने पर वे यहां आये और हर बार उन्होंने अपना लगाव जाहिर भी किया। उनका यूं चले जाना अदब की एक अपूरणीय क्षति है।  


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Govind Pundir

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