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कविता – “दोस्ती” – फ्रेंडशिप डे स्पेशल

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नमन वीणा वादिनी
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दोस्ती की ना कोई परिभाषा,
ना कोई हिसाब होता है,
इनसे ना कोई खडूस ना मासूम होता है,
जिनके पास यह होते हैं,
वह खुली किताब होता है।।

मुश्किलों में साथ देते हैं,
अपनों का एहसास देते हैं,
सच- झूठ के साथ देकर,
दोस्त अपना फर्ज निभा लेते हैं ।।

साए की तरह साथ चलते हैं,
जिंदगी के सारथी भी बन जाते हैं,
अगर भटक गए अपने पथ से हम,
दोस्त सुलझा मार्ग भी दिखा देते हैं ।।

उदासी दूर भगाते हैं ,
धमाचौकड़ी मचाते हैं,
सारे रिश्ते जन्म से बने,
पर दोस्त हम खुद बनाते हैं ।।

खूबसूरत जिंदगी इनसे होती है,
चेहरे पर रौनक भी इनसे होती है,
मौसम बदलता रहता है मगर,
हमारी दोस्ती हमेशा समान होती है।।

रचनाकार — नीलम डिमरी
चमोली – उत्तराखंड


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