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**महाशिवरात्रि पर विशेष** तंत्र और मंत्र सिद्धि के लिए सर्वोत्तम है महाशिवरात्रि – रसिक महाराज

**महाशिवरात्रि पर विशेष**   तंत्र और मंत्र सिद्धि के लिए सर्वोत्तम है महाशिवरात्रि – रसिक महाराज
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हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 01 मार्च, मंगलवार को है। चतुर्दशी तिथि मंगलवार की सुबह 03 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 02 मार्च, बुधवार को सुबह करीब 10 बजे समाप्त होगी।

महाशिवरात्रि पर भोले बाबा को अर्पित करें ये चीजें– भगवान शिव पर अक्षत, पान, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, लौंग, इलायची, दूध, दही, शहद, घी, धतूरा, बेलपत्र, कमलगट्टा आदि भगवान को अर्पित करें। पजून करें और अंत में आरती करें।

प्रहर अनुसार शिवलिंग स्नान विधि

सनातन धर्म के अनुसार शिवलिंग स्नान के लिये रात्रि के प्रथम प्रहर में दूध, दूसरे में दही, तीसरे में घृत और चौथे प्रहर में मधु, यानी शहद से स्नान कराने का विधान है। इतना ही नहीं चारों प्रहर में शिवलिंग स्नान के लिये मंत्र भी अलग हैं जानें…

प्रथम प्रहर में- ‘ह्रीं ईशानाय नमः’

दूसरे प्रहर में- ‘ह्रीं अघोराय नमः’

तीसरे प्रहर में- ‘ह्रीं वामदेवाय नमः’

चौथे प्रहर में- ‘ह्रीं सद्योजाताय नमः’।। 

मंत्र का जाप करना चाहिए। इसके साथ ही व्रती को पूजा, अर्घ्य, जप और कथा सुननी चाहिए और स्तोत्र पाठ करना चाहिए. अंत में भगवान शिव से भूलों के लिए क्षमा जरूर मांगनी चाहिए।

महाशिवरात्रि पूजा विधि– महाशिवरात्रि के दिन सबसे पहले शिवलिंग में चंदन के लेप लगाकर पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराएं। दीप और कर्पूर जलाएं। पूजा करते समय ‘ऊँ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें। शिव को बिल्व पत्र और फूल अर्पित करें। शिव पूजा के बाद गोबर के उपलों की अग्नि जलाकर तिल, चावल और घी की मिश्रित आहुति दें। होम के बाद किसी भी एक साबुत फल की आहुति दें।

सामान्यतः लोग सूखे नारियल की आहुति देते हैं।

महाशिवरात्रि 2022, पूजा मुहूर्त, पारण का समय जान लें

महाशिवरात्रि 1 मार्च को सुबह 3 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 2 मार्च को सुबह 10 तक रहेगी।

पहला प्रहर का मुहूर्त: 1 मार्च शाम 6 बजकर 21 मिनट से रात्रि 9 बजकर 27 मिनट तक है।

दूसरे प्रहर का मुहूर्त: 1 मार्च रात्रि 9 बजकर 27 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक है।

तीसरे प्रहर का मुहूर्त: 1 मार्च रात्रि 12 बजकर 33 मिनट से सुबह 3 बजकर 39 मिनट तक है।

चौथे प्रहर का मुहूर्त: 2 मार्च सुबह 3 बजकर 39 मिनट से 6 बजकर 45 मिनट तक है। पारण समय : 2 मार्च को सुबह 6 बजकर 45 मिनट के बाद है।

शिव मंत्र

‘ओम अघोराय नम:।।

ओम तत्पुरूषाय नम:।।

ओम ईशानाय नम:।।

ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय’

महाशिवरात्रि व्रत नियम जानें

महाशिवरात्रि पर प्रात: स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें। फिर पूजा आरंभ करें। व्रत में नियमों का कठोरता से पालन करने से इसका पूर्ण फल प्राप्त होता है। साथ ही महाशिवरात्रि के व्रत का पारण भी विधि पूर्वक करना चाहिए।

सूर्योदय और चतुर्दशी तिथि के अस्त होने के मध्य समय में ही व्रत पारण करना चाहिए।

शिव तांडव में लिखा है-

यः शम्भूपूजनमिदं पठति प्रदोषे

तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां,

लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः॥

महाशिवरात्रि पर ऐसे करें शिव पूजा

महाशिवरात्रि के दिन प्रात: स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें। भगवान शिव का अभिषेक करें।

इस दिन शिवलिंग का बिल्वपत्र, आक, धतूरा, फूल, अक्षत, भस्म आदि से श्रृंगार करना चाहिए.

शिवपुराण और महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए। रात्रि में भी शिवजी की आरती और पूजा करनी चाहिए। इस दिन गलत कार्यों, क्रोध, अहंकार से दूर रहें तथा दान-पुण्य करें।

चार प्रहर में शिव पूजन का विधान

मान्यता अनुसार, इस दिन भगवान की पूजा रात्रि के समय एक बार या फिर संभव हो तो चार बार करनी चाहिए। वेदों का वचन है कि रात्रि के चार प्रहर बताये गये हैं। इस दिन हर प्रहर में भगवान शिव की पूजा अत्यंत फलदायी है। इस पूजा से सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं।

भगवान शिव पर अर्पित करें ये सब चीजें

भगवान शिव पर अक्षत, पान, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, लौंग, इलायची, दूध, दही, शहद, घी, धतूरा, बेलपत्र, कमलगट्टा आदि भगवान को अर्पित करें। पजून करें और अंत में आरती करें।

महाशिवरात्रि पूजन विधि– फाल्गुन मास में आने वाली महाशिवरात्रि साल की सबसे बड़ी शिवरात्रि में से एक मानी जाती है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद घर के पूजा स्थल पर जल से भरे कलश की स्थापना करें। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति की स्थापना करें। फिर अक्षत, पान, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, लौंग, इलायची, दूध, दही, शहद, घी, धतूरा, बेलपत्र, कमलगट्टा आदि भगवान को अर्पित करें. साथ ही पजून करें और अंत में आरती करें।

महाशिवरात्रि पूजा का महत्व

महाशिवरात्रि पर्व के यदि धार्मिक महत्व की बात की जाए तो महाशिवरात्रि शिव और माता पार्वती के विवाह की रात्रि मानी जाती है। मान्यता है इस दिन भगवान शिव ने सन्यासी जीवन से गृहस्थ जीवन की ओर रुख किया था। महाशिवरात्रि की रात्रि को भक्त जागरण करके माता-पार्वती और भगवान शिव की आराधना करते हैं। मान्यता है जो भक्त ऐसा करते हैं उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है।


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Garhninad Desk

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