सचिव चंद्रेश यादव ने लगाया संस्कृत शिक्षा के समस्त प्रश्नों पर विराम
हरिद्वार 02 दिसम्बर। संस्कृत शिक्षा सचिव चंद्रेश यादव नें आज राज्य के समस्त संस्कृत विद्यालयों एवं महाविद्यालयों के प्रवन्दकों एवं प्रधानाचार्यो की सामूहिक बैठक में महत्वपूर्ण निर्देश देकर समस्त प्रश्नों पर विराम लगा दिया, जिससे संस्कृत जगत में हर्ष की लहर दौढ़ गई ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सचिव चंद्रेश यादव नें संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति, रजिस्टारएवं निदेशक, उपनिदेशक, सहायक निदेशकों की उपस्थिति में संस्कृत विश्वविद्यालय के सभागार में बैठक लेते हुए कहा कि कुछ लोग मीडिया में यह बातें फैला रहे हैँ कि राज्य में वर्षों से चल रहे संस्कृत विद्यालयों को सरकार एवं शासन द्वारा ख़त्म किया जा रहा है, जबकि ऐसा कुछ नहीं है, उत्तरप्रदेश के समय में संस्कृत विद्यालयों को सिर्फ सम्पूरना नंद संस्कृत विश्वविद्यालय से मान्यता मिलती थी अब उत्तराखंड में उत्तरमध्यमा तक संस्कृत शिक्षा परिषद से तथा शास्त्री एवं आचार्य तक संस्कृत विश्वविद्यालय से मान्यता लेनी होती है यही बात ठीक से समझ में न आने से कुछ लोग भ्रमित करने वाली बातें फैला रहे हैँ, इसीलिए उन्होंने आज सबको एकसाथ बुलाया है जिससे कोई भ्रम न रहे।
सचिव नें सभी के प्रश्नों को ध्यान से सुनकर जबाब देते हुए कहा कि जिन विद्यालयों में माध्यमिक तक के पद सृजित हैँ, और उसी आधार पर पूर्व में नियुक्तियाँ हुई हैँ, चाहे उनकी शैक्षिक योग्यता उच्च शिक्षा में पढ़ानें लायक ही क्यों न हो उन्हें माध्यमिक श्रेणी में ही माना जाएगा और यदि पद उच्च शिक्षा के सृजित हैँ, और नियुक्ति माध्यमिक स्तर की दी गई है, तो नयें पदों के सृजन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी परन्तु नियमविरुद्ध कुछ भी किसी दबाव में नहीं किया जाएगा।
सचिव नें कहा कि पहली बार संस्कृत पढ रहे निर्धन छात्रों के लिए उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न छात्रवृत्तियां प्रारम्भ की गई हैँ, एवं संस्कृत अकादमी के माध्यम से संस्कृत ग्रामों सहित शिक्षकों की व्यवस्था की गई है।
सचिव नें कहा कि संस्कृत की सभी जायज समस्याओं के निदान के लिए सरकार गंभीर है, इसलिए शिक्षकों को भी फालतू नेतागिरी से दूर रहकर विद्यालयों में छात्रसंख्या बढानें एवं पठन पाठन पर ध्यान केंद्रित करना होगा उन्होंने कहा कि सरकारी कोष से वेतन अथवा मानदेय लेते हुए मीडिया एवं सोशल मीडिया में सरकार के प्रति जनता में झूठा भ्रम फैलाने वाले कार्मिको पर कर्मचारी आचरण संहिता की परिधि में सख्त कार्यवाही की जाएगी, इसके लिए निदेशक मंडल को निर्देशित किया गया है जबकि निष्ठांपूर्वक कार्य करने वाले शिक्षकों एवं कर्मचारियों को चिन्हित कर पुरुस्कृत भी किया जाएगा ।
विदित है कि कुछ समय से कुछ लोगों द्वारा प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं सोशल मीडिया में उत्तराखंड शासन द्वारा तमाम शासनादेश निकालकर संस्कृत शिक्षा को खत्म करने के आरोप लगाए जा रहे थे, इसका संज्ञान लेते हुए राज्य के वरिष्ठ आई ए एस सचिव चंद्रेश यादव नें पूरे राज्य के संस्कृत शिक्षा से जुड़े लोगों की सामूहिक मैराथन बैठक लेकर तमाम बातों पर दमदार ढंग से सरकार का पक्ष रखकर विराम लगा दिया।
लगातार चार घंटे तक चली मेराथन बैठक में संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर दिनेश शास्त्री, कुलसचिव गिरीश अवस्थी, निदेशक एस पी खाली, सहायक निदेशक पदमाकर मिश्रा, डॉ चंडी प्रसाद घिल्डियाल, बजशरवा आर्य, प्रबंधक ऋषिस्वरानंद महाराज,रामकृष्ण महाराज, डॉ हरिहरानंद,चन्द्रमोहन पयाल,सुधांशु द्विवेदी,प्रधानाचार्य ए. पी सुन्द्रियाल, डॉ ओ. पी पूर्वांल, हेमंत तिवारी, रामभूषण बिजलवान, जनार्दन कैरवान,मनोज द्विवेदी, सहित पूरे राज्य से प्रधानाचार्य एवं प्रवंधक उपस्थित रहे ।